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Showing posts from January, 2021
जब राज़ हो दिल में गहरा हर ज़ख्म पे यादों का पहरा जब मंज़िल ने भी मुंह फेरा यारों ने भी आशियाना छोड़ा। जब आसूं भी बह ना पाए नज़रों को भी मिला ने पाए जब लफ़्ज़ों ने भी ज़बान ना हो कम्बख़त इश्क़ भी अब साथ ना हो। बस हंसी भी ख़ामोश रहे हर दिन में रात ढले मन में कुछ बवंडर सा है अपना जो था आज़ पराया सा हैं। -Praful Maheshwari